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पुलिस अधीक्षक मुमक्का सुदर्शन के आदेश को घुग्घूस पुलिस का बट्टा

अधीक्षक ने लगाई रोक तो हवलदार बने ट्रांसपोर्टरों के लिए मसीहा

चंद्रपुर/घुग्घुस:- चंद्रपुर जिले के पुलिस अधीक्षक मुमक्का सुदर्शन के आदेश पर उन्हीं के अफसर बट्टा लगते हुए घुग्घुस शहर में नजर आरहे है।

 

दरअसल मामला कुछ यह है कि घुग्घुस शहर में रेलवे ब्रिज का काम चल रहा है, इसलिए यातायात में कोई बाधा ना आए और यातायात नियंत्रित रूप से चलती रहे. साथ ही किसी भी तरह की दुर्घटना और कानून व्यवस्था की समस्या से बचने के लिए 30 जून 2024 तक के लिए जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी. हालांकि, इस दौरान रेलवे ब्रिजनिर्माण पूरा न होने के संबंध में आर.के. मधानी कॉरपोरेशन एवं गिरिराज कंपनी का पत्र प्राप्त होने पर 22 नवंबर 2024 तक इस मार्ग पर सभी प्रकार के भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था . इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक ने आदेश जारी किया था. लेकिन इस आदेश को घुग्घुस पुलिस प्रशासन द्वारा बट्टा लगाए जाने की चर्चा शहर के की जा रही है। चूं की जिस अफसर को इस भारी आवाजाही को रोकना चाहिए था। वही अफसर अपनी मौजूदगी में भारी वाहनों का परिवहन करता नजर आरहा है। जिस से शहर में तरह तरह की चर्चा की जा रही है।

 

आप को बता दे भारी परिवहनकर्ताओं को निम्नलिखित वैकल्पिक मार्ग का उपयोग यातायात के लिए दिया गया था। जिसमे घुग्घुस बस स्टैंड से म्हातरदेवी तक भारी यातायात बंद रहेगा। घुग्घुस बस स्टैंड से राजीव रतन अस्पताल-बेलोरा ओवर ब्रिज से वाणी तक का मार्ग भारी यातायात के लिए बंद रहेगा।

 

वैकल्पिक तरीका कुछ इस प्रकार था कि वणी से घुग्घुस आने वाला भारी यातायात राजीव रतन अस्पताल तक पहुंच सकता है। वणी से घुग्घुस बस स्टेशन तक पहुंचने के लिए पाटला-कोंडा फाटा या पाटला-वरोरा-भद्रावती-ताडाली-पडोली घुग्घुस मार्ग का अनुसरण किया जाना था। पडोली-भद्रावती-वरोरा मार्ग से घुग्घुस से वणी मार्ग का पालन ​​किया जाना चाहिए था. पर एक कथित हवलदार द्वारा स्वयं खड़े हो कर पुलिस अधीक्षक के आदेश कचरे के डब्बे में डालते नजर आए।

 

पुलिस अधीक्षक द्वारा भरी वाहनों की यातयात के लिए जिस रास्ते का विकल्प दिया है। वह रास्ता स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को काफी महंगा पड़ता है। जिस वजह से ट्रांसपोर्टरों का अधिक गाड़ी भाड़ा आर्थिक और समय का नुकसान झेलना पढ़ रहा था। पर ऐसे में घुग्घुस पुलिस प्रशासन के एक कथित अफसर अपनी मर्यादा लांग कर ट्रांसपोर्टरों के लिए मसीहा बन कर आए। और जिस रास्ते पर पुलिस अधीक्षक द्वारा रोक लगाई गई थी उन रास्तों से भारी वाहनों की यातयात इनके आशीर्वाद से शुरू कर दी गई है ऐसा नजर आता है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इन भरी वाहनों को यातयात के लिए किस अधिकारी ने अनुमती दी? क्या यह हवलदार पुलिस अधीक्षक से भी बड़े पद पर है? क्या घुग्घुस शहर के पुलिस निरीक्षक द्वारा पुलिस अधीक्षक के आदेश को ना मानने के आदेश दिए गए है? आखिर ट्रांसपोर्टरों के लिए यह हवलदार इतना मेहरबान क्यों? ऐसे कई सवाल स्थानीय नागरिकों द्वारा उठाएं जा रहे है। अब देखना यह है कि क्या पुलिस अधीक्षक मुमक्का सुदर्शन द्वारा इस मामले की जांच कर आला अफसरों के आदेश का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे? जांच का विषय

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