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MEL के अफसरों द्वारा एक ही मामले में २ अलग ही अलग कार्रवाई क्यों?

आखिर इस मेटल का उपयोग क्या है और शहर में कौन खरीदता है?

चंद्रपुर:- MEL स्टील प्लांट चंद्रपुर के अफसरों द्वारा हाल ही में 2 कर्मचारियों के साथ एक ही मामले में अलग अलग कार्रवाई देखने को मिली। चंद दिनों पहले एक व्यक्ति को कार में संस्था का मेटल अवैध रूप से ले जाते पकड़ा गया था और उसे बगैर निलंबित किए छोड़ दिया गया। यह घटना पूरे संस्था में आग की तरह फैल चुकी थी। पूरी संस्था में बैगर कार्रवाई के छोड़ना यह चर्चा का विषय बना हुआ था। उस कथित व्यक्ति पर कार्रवाई ना होने की वजह से अन्य कर्मचारियों में भी मेटल चोरी करने का साहस निर्माण हुआ और इस मामले से ठीक कुछ ही दिनों बाद संस्था से दिलीप झाड़े नामक कर्मचारी अवैध रूप से मेटल ले जाते पकड़ा गया। पर झाड़े के प्रकरण में संस्था के अफसर सख्त दिखाई दिए। झाड़े को जब सुरक्षा कर्मी द्वारा संस्था से अवैध रूप से मेटल ले जाते पकड़ा गया उसी के फौरन बाद दिलीप झाड़े को संस्था में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। आखिर दिलीप पर इस तरह की कार्रवाई की वजह क्या है? दिलीप द्वारा १० kg मेटल ले जाते हुए पकड़े जाने पर उसे संस्था में आने पर प्रतिबंध लगा दिया जा सकता है तो कुछ दिनो पहले जब एक व्यक्ति अपनी निजी वाहन मारुति ८०० में जाने कितना किलो मेटल संस्था से अवैध रूप से ले जाते पकड़ा गया था तो उसपर कार्रवाई क्यों नही?

*आखिर इस मेटल का उपयोग क्या है और शहर में कौन खरीदता है?*

MEL से निकलने वाला मेटल जो की एक साधारण पत्थर की गाड़ा दिखता है उसे सिलिको मैग्नाइज कहा जाता है वह कोई साधारण पत्थर नही है। सिलिको मैंगनीज एक फेरो मिश्र धातु है जो व्यापक रूप से स्टील (विशेष रूप से लंबे उत्पादों) के निर्माण में एक मिश्र धातु एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। यह स्टील को आवश्यक कठोरता और कठोरता प्रदान करता है और इसलिए, स्टील बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका उपयोग स्टील पाइपों के लिए एक सुरक्षात्मक कोटिंग के रूप में किया जाता है। यह ऑक्साइड परत बनाकर जंग को खत्म करने में मदद करता है और क्षरण, गर्मी, रसायन और विकिरण से सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रकार का निर्माण आमतौर पर औद्योगिक स्तर पर किया जाता है। और इस मेटल की कीमत भारत में ७२ रुपए प्रति किलो है। और तो और इसे सिर्फ चंद्रपुर जिले के कुछ ही स्क्रैप दुकान धारक खरीद पाते है क्यों के इस पत्थर की आम तौर पर लोगो को पूरी जानकारी नहीं है। इतना कीमती पत्थर को चंद्रपुर शहर के स्टील प्लांट में कार्यरत कर्मचारी बड़ी सफाई से चोरी करते है। और चंद्रपुर शहर कुछ स्क्रैप दुकान धारक को बेच देते है। चंद्रपुर शहर में कौनसे स्क्रैप दुकान धारक यह पत्थर खरीदता है इसकी जांच होनी चाहिए? और वह खरीद कर उस पत्थर का किस तरह उपयोग करता है यह जान ना भी समय का बहोत बड़ा सवाल है।

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