शहीद होजाना मगर ज़ालिम को समर्थन मत देना, यही शहादत ए हुसैन का पैगाम है
बुरहानपुर (मप्र )में मुफ़्ती हारून नदवी का 1 मोहर्रम को ज़ोरदार बयान
मुसलमानो ज़रा इस्लामी महीनों के आगाज़ और इखतेताम पर ग़ौर करो, तुम्हें पता चलेगा कि इस्लामी साल के दोनों महीने यानी मोहर्रम (इबतेदा) और ज़िलहज इंतेहा ये दोनों क़ुरबानी और शहादत का पैगाम देते हैं, ये तुम्हारे इस्लामी साल की इबतेदा और इन्तहा तुम्हें बताती और सिखाती है कि इस्लाम क़ुर्बानी और शहादत के बिना ज़िन्दा नहीं होंगा और ज़िन्दगी में नहीं आएगा, और हज़रत हुसैन रज़ की शहादत तो साफ पैगाम देती है कि शहीद होजाना, मरजाना, पूरे खानादान को शहीद होते देखना पसंद करना मगर ज़ालिम का समर्थन नहीं करना, हज़रत हुसैन चाहते तो अपनी और अपने परिवार की जान बचा लेते, ज़ालिम को खामोश रेहकर समर्थन दे देते और मदीना आजाते, मगर हज़रत हुसैन ने ऐसा नहीं किया,अहले बैत के बच्चे बच्चे शहीद होगए मगर यज़ीद को स्पोर्ट समर्थन नहीं दिया, आज दुनिया ज़ुल्म और ज़ालिम को खामोश रेहकर स्पोर्ट कर रही है इसलिये ज़ुल्म परवान चढ़ रहा है.
ज़ालिम मज़बूत और मज़लूम और मज़लूम हो रहा है, फलस्तीन गाज़ा उसकी ज़िन्दा मिसाल है, तमाम हुसैन की मोहब्बत का दम भरने वाले, नबी ए पाक से इश्क मोहब्बत के नारे लगाने वाले इस्लामी देश खामोश रेहकर ज़ालिम का स्पोर्ट कर रहे हैं, मुसलमानो शहादत ए हुसैन के संदेश को समझो, ज़ुल्म को दुनिया भर से ख़तम करो, ज़ालिम का ख़ात्मा करो यही अहले बैत की शहादत का सन्देश है, सिर्फ मुहरर्म को रस्मी तौर पर मना लेना,अहले बैत का ज़िकर करलेना ये असल नहीं है, असल है उनकी क़ुर्बानियों को समझो, आज भी हम शहीदों की शहादत के मकसद को समझ लें तो दुनिया भर से अहले ईमान पर होने वाला हर तरह का ज़ुल्म खतम होजायेगा.
हलाल हराम की तमीज़ करो, हलाल कमाओ, हलाल खाओ और नसलों को हलाल ही खिलाओ तो इसके अच्छे असरात नसलों में आएंगे, हराम गिज़ा चाहे वो रिश्वत या ब्याज की शकल में हो उस से बच्चों को भी बचाओ ज़िन्दगी में बरकत सुकून अमन और ख़ैर ही ख़ैर होंगा, ऐसी बहोत ही प्यारी प्यारी बातें नसीहतें जलगांव से आए जमीयत उलामा के अध्यक्ष और वायरल न्यूज़ के डायरेक्टर हज़रत मुफ़्ती हारून नदवी ने अपने बयान में फरमायी.
हज़ारों जवान और बुज़ुर्ग महिलाएं मुफ़्ती साहब को सुनने के लिये पोहची थी, ये प्रोग्राम मस्जिद ए रेहमनिया बुरहानपुर के वसी हॉल में 7 जुलाई 2024 को हुवा.. मुफ़्ती साहब ने आखिर में मज़लूम फलस्तीन के लिये और अपने प्यारे मुल्क भारत के लिये दुआ की.. इस कार्यक्रम में मौलाना सलीम साहब नदवी गिन्नौरी, मुफ़्ती अली साहब, मौलाना बिलाल नदवी, मौलाना असरार साहब नदवी, हाफ़िज़ सलमान गिन्नौरी, हाफ़िज़ ज़ुबैर मुत्तुकी, मौलाना ज़करिया नदवी,मौलाना अब्दुल लतीफ फैज़ी और शहर के मुआज़्ज़ हज़रात बड़ी तादाद में शरीक थे