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लाखो की लागत से लगाए हुए फलक चढ़े भंगार की भेट

माहिती का अधिकार में नही दी गई इस काम की संपूर्ण जानकारी

चंद्रपुर:- चंद्रपुर जिले के लोक निर्माण कार्य विभाग द्वारा ४ महीनो पहले ही किलोमीटर दर्शाने वाले फलक का ठेका निकला गया था। जिसमे लाखो रुपए की लागत से यह फलक लगाए गए थे। उन्ही फलक में से एक फलक भंगार की भेट चढ़ने कि अवस्था में नजर आरहा है। प्रियदर्शनी सभागृह के सामने लगाए जाने वाला फलक इस समय प्रियदर्शनी सभागृह में पढ़ा हुआ है। अफसरों का कहना है रास्ते की बीच में आने की वजह एस इस फलक को निकाल कर रखा गया है। पर सोचने वाली बात यह है की फलक लगाते समय रास्ते का मोज माप क्यों नही किया गया? फलक की अवस्था देख ऐसा लगने लगा है की सामान्य नागरिकों का पैसा लोक निर्माण कार्य के अफसरों ने केवल ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के उद्देश से यह ठेका निकाला गया था। यह ठेका मजुर संस्था अंतर्गत नागसेन एमएसएस भद्रावती को दिया गया था। आप को बता दू अगर यह ठेका आम तरीके से निकाला जाता तो इसका सीधा फायदा भद्रावती के नागसेन को नही पहुंचता इसलिए शायद इस ठेके को मजूर संस्था के तहत दे कर सीधा फायदा कराया गया है? सूत्रों का मानना है की इस ठेके का काम कुछ वर्ष पहले ही हुआ है। इस ठेके में सिर्फ नागरिकों का लाखो रुपए का गबन अफसरों द्वारा मजूर संस्था के साथ मिल कर किया गया है।

माहिती का अधिकार में नही दी गई इस काम की संपूर्ण जानकारी

इस मामले के संदर्भ में जब माहिती का अधिकार का उपयोग कर जानकारी निकाली गई तो लोक निर्माण कार्य के अफसर यह जानकारी देने से बचने का प्रयास करने लगे। यहां तक कि अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद लग भग एक सप्ताह बाद इस विषय की जानकारी दी गई। और वो भी अपूर्ण नजर आई। यह फलक किन किन स्थानों पर लगाए जाने की जानकारी माहिती की अधिकार में मांगी गई तो विस्तार से जानकारी ना देते हुए ऊपरी जानकारी दी गई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस ठेके में अधिकांश फलक ठेकेदार द्वारा नही लगाए गए है। चू की जिन स्थानों पर पहले से फलक लगे हुए थे उन्ही जगहों का इसमें उल्लेख किया गया है। मोजमाप बुक मौजूद नहीं होने की झूठी कहानी बना कर बचने का प्रयास लोक निर्माण कार्य के अफसर कर रहे है? इसलिए सामान्य नागरिकों द्वारा इन ठेके की निष्पक्ष जांच किए जाने की मांग की जा रही है अब देखना यह है की क्या इस भ्रष्टाचार पर उचित कार्रवाई अधीक्षक अभियंता द्वारा की जाएगी

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