सरकारी वाहनों के लिए क्षेत्र प्रतिबंधित, नेता, सफेद पोशाक ट्रांसपोर्टर के लिऐ खुली छूट?
प्रतिबंधित क्षेत्र में पुलिस व ठेकेदार की लापरवाही भारी बरकाम वाहनों का क्षेत्र में 24 घंटे परिवहन.
चंद्रपुर : घुग्घुस शहर में रेलवे पुल का काम चल रहा है और शहर से गुजरने वाले भारी वाहनों के कारण यातायात की समस्या हो रही है. यातायात समस्या पर अंकुश लगाने के लिए शासन प्रशासन सुस्त दिखाई दे रही है. शहर में यातायात पुलिस, आरटीओ, एमआरआईडीसी, PWD, मुख्याधिकारी, कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों की घोर अंदेखी देखी है. जिसके कारण प्रतिबंधित क्षेत्र में 24 घंटे परिवहन चल रहे है. नागरिकों की माने तो शहर में भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाने संबंधित अधिकारियों पर मामला दर्ज किया जाएं.
घुग्घुस शहर से गुजरने वाले भारी वाहनों के कारण यातायात की समस्या हो रही है. जिससे क्षेत्र में छोटी बड़ी घटनाएं हो रही है. सुरक्षा नियम खागजों तक ही सीमित है. जमीनी हकीकत कुछ ओर है. शहर में सेफ्टी के नाम पर रोड मेंटेन नहीं है. साइड रोड घातक गड्डों में तब्दील हो गई है. घुग्घुस नागरिकों की माने तो शहर में भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाने और वैकल्पिक मार्ग अपनाने की मांग जारी है.
1. रोड डस्ट पर क्षेत्र में नियंत्रण नहीं है.
2. भारी वाहन पर नियंत्रण नहीं है.
3. बनाई गई कच्ची मिट्टी की सड़क में पर्याप्त चौड़ाई नहीं है. एवं उसी रोड से वाहनों का आवागमन और उसी रोड पर पुल के निर्माण पर कार्यरत हेवी मशीनरी का कार्य चलता रहता है. जो को खुले आम सेफ्टी नियमों का उल्लंघन है.
4. उस मार्ग पर रात के समय पर्याप्त लाइटिंग की व्यवस्था नहीं है. एवं पानी का छिड़काव नियमित नहीं कियाजता है. जिस की वजहसे डस्ट उड़ती रहती है. जिसे वाहन चालकों एवं नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भविष्य में बड़ी दुर्घटना होने पर इस की जवाबदारी किन की रहेंगी?
बॉम्बे पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 33(1)(ब) के अनुसार, सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर यातायात को विनियमित करने के वैधानिक अधिकार के तहत, शहर से गुजरने वाले भारी वाहनों के यातायात से संबंधी समस्याएं पैदा नहीं होंगी, परंतु अधिकारी क्षेत्र के बाहुबलियों के आशीर्वाद से और लोकल ट्रांसपोर्टिंग के नाम से मोटी रकम वसूल कर रहे है ऐसी चर्चा क्षेत्र में है. और कार्रवाई के नाम पर दिखावा कर रहे हैं.
यदि क्षेत्र में कोई घटना होती है तो संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों पर आम नागरिकों की तरह ही कार्रवाई की जाएं?