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नोटिस के बाद भी बे लगाम वॉशरिज के काले काम

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सक्रिय कोल वाशरी सहित अन्य फैक्ट्री को लगाई फटकार

चंद्रपुर :- चंद्रपुर जिला औद्योगिक जिले के नाम से जाना जाता है। यहां कोयला खदाने भारी मात्रा में है उसी के साथ यहां कोल वॉशरिज भी भारी संख्या में मौजूद है। कोयला खदाने होने की वजह से चंद्रपुर में काफी औद्योग मौजूद है। ठीक उसी तरह कोयला माफियाओं की भी यह कमी नहीं हैं। कोल वॉशरिज के मालिक और फैक्ट्री के मालिक पर्यावरण के नियमो को ताक पर रख कर अपना व्यवसाय करते नजर आते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी को ध्यान में रखकर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनेक कोल वॉशरिज और फैक्ट्री को शोकॉज़ नोटिस जारी किया हैं। जिसमे विभिन्न कानूनों के तहत आर्यन वाशरी को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नोटिस भेजा गया है।

प्रदूषण बोर्ड मुताबिक़ एसीबी और महा मिनरल मचा रहें उत्पात

इन कोल वाशरी को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का उलंघन किए जाने की वजह से नोटिस दिया गया है। हमे मिली जानकारी के अनुसार एसीबी इंडिया पर बोर्ड द्वारा दिये गए नोटिस में काफी गंभीर बात कही गई है। जिस से एसीबी (इंडिया) कोल वाशरी का प्रबंधन काफी हिल चुका है। और काले कारनामे उजागर हो कर सामने आए हैं ,बोर्ड द्वारा नोटिस में कहा गया है की एसीबी (इंडिया) वॉशरिज द्वारा खराब रिजेक्ट कोयले के बिल पर अच्छी गुणवत्ता का कोयला एसीबी इंडिया द्वारा विभिन्न फैक्ट्री को बेचा जा रहा है। जिनमे से डालमिया सीमेंट फैक्ट्री और जी आर कृष्णा जैसी बड़ी फैक्ट्रियों का उल्लेख बोर्ड द्वारा किया गया है।वही घुग्घूस में स्थित महामिनिरल माइनिंग एंड बेनिफ़िकेशन प्रा.ली पर 10 हज़ार 348 मेट्रिक टन तथा यवतमाल ज़िले के वणी के कार्तिकेय कोल वॉशरिज पर 27 हज़ार 377 मैट्रिक टन रिजेक्ट कोल के नाम पर अच्छा कोयला दूसरे राज्य तथा चंद्रपुर के फ़ैक्टरियों में बेचें जाने की करगुजारी सामने आई है।

तमाम नोटिस के बाद भी कोल वाशरी जैसे थे

अमूमन हर ६ महीने में एम पी सी बी द्वारा इन वॉशरिज और फैक्ट्रीयो को कभी हवामे में प्रदूषण तो कभी पानी में केमिकल तो कभी कोयले में चारफ़ाइन जैसे घोटाले को लेकर कभी शोकॉज नोटिस तो कभी हद से जादा घपला करने वाले जैसे कोल डिपो उद्योग को क्लोज़र नोटिस भी दिया जाता है। लेकिन इन नोटिस की जवाब देही वॉशरिज और फैक्ट्री तंत्र बखूबी देते नज़र आती है लेकिन हमेशा देखा जाता है की जवाब देही के बाद पोल्यूशन डिपार्टमेंट जैसे ठंडे बस्ते में चले जाता है इसकी वजह जब भी पत्रकारों द्वारा पूछे जाती है तो प्रदूषण महा मंडल सीधे ज़िलाधिकारी कार्यालय की और इशारा करते नज़र आते है?इसी सुस्त सरकारी कार्य प्रणाली की वजह सें यह काले कामो को और बढ़ावा दिया जा रहा है ऐसा दिखाई देता है।

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