वायु नंदना प्लांट से निकलने वाले डस्ट से शासन को करोड़ों का नुकसान
एन एन ग्लोबल वाशरी द्वारा धुलाई के नाम पर करोड़ों का शासन को चंदन

चंद्रपुर/गड़चिरोली :- चंद्रपुर जिले में कोयला खदानें बड़ी संख्या में मौजूद है। जितनी खदाने है उससे कई ज्यादा संख्या में कोयला व्यपारी भी सक्रिय है। गड़चिरोली में स्थित वायु नंदना प्लांट से निकलने वाली निरूपयोगी डस्ट का भरपूर इस्तेमाल कोयला चोरी करने में कोयला व्यापारियों ने लगाया है। दरअसल इस डस्ट को ईट भट्टी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसी का फायदा उठा कर देव अग्रवाल द्वारा वायु नंदना प्लांट के अफसरों से साठ गाठ कर कोयले का डस्ट उठाने का ठेका प्राप्त किया गया। और ईट भट्टी की जगह देव अग्रवाल द्वारा यह डस्ट जिले के कोयला व्यापारियों को अच्छे दामों में बेच रहा है। इस डस्ट को (ESP DUST) कहा जाता है।
*वायु नंदना प्लांट से देव अग्रवाल के ठेके पर यह लोग निकाल रहे है डस्ट*
चंद्रपुर जिले के सक्रिय कोयला व्यापारियों को देव अग्रवाल द्वारा वायु नंदना प्लांट की डस्ट बेच दी गई है। और चंद्रपुर जिले के गिरिराज इंटरप्राइजेज, इरोज इंटरप्राइजेज, गजानन ट्रेडर्स, मनीष अग्रवाल, विशाल सींग, बॉबी चावला, यह सभी कोयला व्यापारी इस प्लांट से खुले आम कोयले का डस्ट निकाल रहे है। और कोयला व्यपारियो द्वारा इस डस्ट को एन एन ग्लोबल वाशरी को भेजा जा रहा है।
*कैसे होती धुलाई के नाम पर खा रहा है मलाई*
एन एन ग्लोबल वाशरी में कोयला धुलाई के लिए आता है। और सारा खेल इसी वाशरी में रचा जा रहा है। एन एन ग्लोबल वाशरी में धुलाई के लिए आने वाले कोयले की धुलाई की जगह मिलाई का काम एन एन ग्लोबल वाशरी के मालिक द्वारा किया जा रहा है। इस वाशरी में देश भर के अलग अलग राज्यों के अलग अलग सरकारी सयंत्रो में उपयोग में आने वाले कोयले की धुलाई कर उसकी गुणवत्ता बढ़ा कर संयंत्र को भेजने के लिए आता है। पर हकीकत तो यह है की इस वाशरी द्वारा वायु नंदना प्लांट से निकलने वाली नीरउपयोगी डस्ट सरकारी संयंत्र को कोयले में मिलावट कर भेजी जा रही है। और सरकारी संयंत्र की भेजे जाने वाले कोयले को बाहरी मार्केट में अच्छे दामों में कच्चे में बेचा जा रहा है। जिस से शासन को करोड़ों का नुकसान हो रहा हैं। और एन एन ग्लोबल वाशरी के मालिक कोयला धुलाई के नाम पर मलाई खाने का काम कई महीनो से जारी है।
*सरकारी संयंत्र को हो रहा है नुकसान*
सरकारी संयंत्र जैसे बिजली निर्माण केंद्र और अन्य संयंत्र जहा अधिक गुणवत्ता वाले कोयले की जरूरत होती है। वहा मिलावटी कोयले की पूर्तता किए जाने की वजह से इन सयंत्रो में मशीनें खराब होती रहती है। जैसे चंद्रपुर के बिजली निर्माण केंद्र में यूनिट बंद होने की खबरे कई बार सुनाई दी जाती हैं। इसका एक कारण यह भी है की खराब गुणवत्ता वाले कोयले की प्राप्ती। मशीनें खराब होने की वजह से उन्हें सुधारने में शासन का करोड़ों रुपए खर्च होते है। और शासन का दोगुना नुकसान होता है। जबकि मशीनें खराब होने के पीछे का कारण खराब गुणवत्ता वाला कोयला होता है। अब देखना यह है की क्या संबंधित विभाग द्वारा एन एन ग्लोबल वाशरी की जांच कर शासन को होने वाले नुकसान पर रोक लगाई जाएगी? क्या एन एन ग्लोबल वाशरी के मालिक पर कार्रवाई की जाएगी? जांच का विषय ।