
चंद्रपुर :- चंद्रपुर जिले में स्थित कोल वाशरी से कोयला धुलाई के नाम पर कोयले चोरी लगातार जारी है। सरकारी संयत्र तथा बिजली केंद्रों में बिजली निर्माण के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले कोयले की आवश्यकता होती है। जिस से संयंत्र में लगने वाला खर्च कम हो और ज़्यादा बिजली का उत्पादन किया जा सके। इस वजह से सरकारी संयत्र और बिजली केंद्र इन कोयला वाशरी को कोयले की धुलाई कर कोयले की गुणवत्ता बढ़ा कर बिजली केंद्र में कोयला पूर्तता कराने का ठेका देती है।
जिसमें वाशरी मालिक और और बिजली केंद्र के अधिकारी मिलीभगत कर शासन के महसूल को डुबोने का काम बड़ी ही ईमानदारी से करते नजर आते है। क्यों कि प्राप्त जानकारी के मुताबिक चंद्रपुर जिले में स्थित चंद कोल वाशरी से बिजली केंद्रों में डस्ट चार्फाइन काली मिट्टी मिश्रित घटिया गुणवत्ता के कोयले की आपूर्ति की जा रही हैं। जिसपर बिजली केंद्र के अधिकारी अपनी हिस्सेदारी के चलते चुप्पी साधे बैठने की चर्चा सुनाई देती है।
अच्छी गुणवत्ता वाले कोयले में मिलावट का खेल कोल वाशरी में ही खेला जाता है। धुलाई कर जिस कोयले को बिजली केंद्र में जाना चाहिए था। वह कोयला बाहरी बाजारों में अच्छी कीमत पर रिजेक्ट कोल के नाम पर बेचा जाता है। और बिजली केंद्रों को ESP डस्ट, चार्फाइन, मिट्टी जैसी सामग्री कोयले में मिश्रित कर बिजली केंद्र में भेजा जाता है। जिससे बिजली केंद्र को लाखों रुपए का नुकसान उपकरणों के खराब होने से तो होता ही है। साथ ही करोड़ों रुपए का शासन का महसूल भी यह कोयला चोर खा जाते है।
क्या महसूल विभाग और mpcb कर रहा है घुस खोरी?
देखा जाए तो चंद्रपुर जिले के कुछ कोल वाशरी में डस्ट के पहाड़ खड़े दिखाई देते है और किसी किसी वाशरी के सटे इस डस्ट के पहाड़ नजर आते है। फिर भी जिले का महसूल विभाग और mpcb विभाग इन वाशरी की जांच कर कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाता। वैसे तो mpcb विभाग द्वारा हर साल कोल वाशरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। पर आज तक किसी भी वाशरी पर कार्रवाई हमारे जानकारी में तो नहीं आई है। कारण बताओ नोटिस केवल अफसरों के खानापूर्ति का ज़रिया है। ऐसी चर्चा अक्सर सुनाई देती है।